कैसे बुधिया को इस नशे की लत से बाहर निकालूँ कुछ समझ नहीं आता । कैसे बुधिया को इस नशे की लत से बाहर निकालूँ कुछ समझ नहीं आता ।
पछतावे में ज़िन्दगी, ज़िन्दगी में पछतावा यही काम रह गया है क्या ?? पछतावे में ज़िन्दगी, ज़िन्दगी में पछतावा यही काम रह गया है क्या ??
दोस्तों, बताइए सीमा ने सही किया या नहीं ? आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा। दोस्तों, बताइए सीमा ने सही किया या नहीं ? आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।
संघर्ष की बदौलत हम सभी भाई बहन एक स्तम्भ के जैसे इस समाज में स्थापित हुए है। संघर्ष की बदौलत हम सभी भाई बहन एक स्तम्भ के जैसे इस समाज में स्थापित हुए है।
किशोर सर के चेहरे पर अपने विद्यार्थी की सफलता को देखकर संतुष्टि के असीम भाव थे। किशोर सर के चेहरे पर अपने विद्यार्थी की सफलता को देखकर संतुष्टि के असीम भाव थे।
आईये आप मेरे साथ, गाड़ी में बैठिये आप के घर चलते हैं" कमिश्नर बोले। आईये आप मेरे साथ, गाड़ी में बैठिये आप के घर चलते हैं" कमिश्नर बोले।